इतनी विशाल धरती और अपार हवा-पानी का भंडार
इस रहस्यमय ब्रह्माण्ड का आखिर निगहबान कौन है?
जहां के लोग क्यों लड़ते है? , मरते है धर्म के लिए
शायद पता नहीं उन्हें कि, हममें से इन्सान कौन है ?
पल पल का सुख जी लेने को अब आमादा है हर कोई
नहीं जानते तो बस हम , जिन्दगी की पहचान कौन है?
तिल तिल कर जी रहे है हम बस अपनों के लिए
किसे पता रंग बदलती दुनियां में अरमान कौन है?
बस हम खुद को तराशें , सब विकारों को त्यागकर
वर्ना इस पाप-नफरत की दुनियां में भगवान् कौन है?