पेट की गहराई भाई , किसको समझ है आई
वो भी जान नहीं पाया जिसने ये दुनियां बने
क्योंकि पेट बड़ा शैतान रे पगले पेट बड़ा शैतान.......
पेट की खातिर इन्सां , जाने कितने पाप कमाए
पेट की खातिर इन्सां ने , धर्मो के जाल बिछाए
भगवन और इन्सां के बीच पेट का ही झगड़ा है
भगवन ने इन्सां को तो पेट के लिए ही रगड़ा है
पेट ही सारे झगड़े की जड़ , है यारों संसार की
धन दौलत सब पेट की खातिर वर्ना है बेकार की
पेट के कारण ही इन्सां - अल्लाह है सामान
फर्क है तो बस लेनेवाले से देनेवाला है महान
देता है वो भी सबको लेकिन कुछ लेने के बाद
बस थोड़ी सी श्रद्धा और थोड़ा सा विश्वास
इसलिए तो कहता हूँ मैं लो मेरा कहना तू मान
क्योंकि पेट बड़ा शैतान रे पगले पेट बड़ा शैतान.......
No comments:
Post a Comment