लोगों की धारणा है अशांति शस्त्रों से फैलती है
कलयुग में तो शांति ,शस्त्रों के साए में मिलती है
मरने का खौफ तो अब जर्रे जर्रे में वाकिफ है
मजहब का तीर तरकश-ए-खौफ में काबिज़ है
क्यों आज हर धर्मसभा , पहरे की मोहताज़ है
क्योकि हर दिल में बस ,आतंक का ही राज है
सारे धर्मान्धी आज बस , आतंक की भाषा जानते है
साधू,मौला,पंडित,ज्ञानी , शस्त्रों में ज्ञान खंगालते है
बिना आत्मज्ञान के,मानव जीवन है बेकार
आत्मज्ञान ही है बस , जीवन का आधार
जो जीने की कला जानते है,जीवन को वही पहचानते है
इंसानियत के वही फ़रिश्ते , परमेश्वर को पहचानते है
मरने का खौफ तो अब जर्रे जर्रे में वाकिफ है
मजहब का तीर तरकश-ए-खौफ में काबिज़ है
क्यों आज हर धर्मसभा , पहरे की मोहताज़ है
क्योकि हर दिल में बस ,आतंक का ही राज है
सारे धर्मान्धी आज बस , आतंक की भाषा जानते है
साधू,मौला,पंडित,ज्ञानी , शस्त्रों में ज्ञान खंगालते है
बिना आत्मज्ञान के,मानव जीवन है बेकार
आत्मज्ञान ही है बस , जीवन का आधार
जो जीने की कला जानते है,जीवन को वही पहचानते है
इंसानियत के वही फ़रिश्ते , परमेश्वर को पहचानते है