Sunday, November 20, 2011

जिन्दगी-- एक सफ़र

जिंदगी    की   आपाधापी  
चलती लड्खाती बलखाती 
बचते   बचाते   बस   यूंही  
जाने  कैसे  कब कट जाती 


कुछ  सोच  भी  नहीं  पाते 
कुछ  सोचते  ही  रह जाते
आखिर    जिन्दगी    क्या   है  
जिन्दगी का क्या फलसफा है 


जिन्दगी   के  क्या   मायने  है 
यही  तो  हम सबको जानने  है 
कुछ के लिए जिन्दगी देखो बन गयी बला है 
कुछ जिए  जा रहे  है  सोचकर 
ये तो साँसों  का सिलसिला  है 


क्या  अपने और  अपनों के लिए  ही  जीना  ही  जीना  है?
जिए  जो  औरो  के  लिए  उनका  जीना  ही  तो  जीना  है 

1 comment: