Monday, June 20, 2011

कौन है ?

हम खुद कितना जानते है, क्या खुद को पहचानते है?

इतनी विशाल धरती और अपार हवा-पानी का भंडार
इस रहस्यमय ब्रह्माण्ड का   आखिर निगहबान कौन है?

जहां के लोग क्यों लड़ते है? , मरते है धर्म के लिए
शायद पता नहीं उन्हें  कि, हममें  से  इन्सान  कौन है ?

पल पल का सुख  जी लेने को  अब  आमादा  है हर कोई
नहीं जानते तो बस  हम , जिन्दगी की पहचान कौन है?

तिल तिल कर जी रहे है हम बस अपनों के लिए
किसे पता  रंग बदलती दुनियां में अरमान कौन है?

बस हम खुद को तराशें , सब विकारों को त्यागकर
वर्ना इस पाप-नफरत की दुनियां में भगवान् कौन है?




6 comments:

  1. बस हम खुद को तराशें , सब विकारों को त्यागकर
    वर्ना इस पाप-नफरत की दुनियां में भगवान् कौन है?

    Bahut sunder vichar.

    ReplyDelete
  2. बस हम खुद को तराशें , सब विकारों को त्यागकर
    वर्ना इस पाप-नफरत की दुनियां में भगवान् कौन है?...
    बिलकुल सही!

    ReplyDelete
  3. जो हमारे विचार हैं वही हमारे कर्म भी होने चाहिए. यह दुनिया तभी बेहतर बनेगी. सुन्दर रचना

    ReplyDelete