इतनी विशाल धरती और अपार हवा-पानी का भंडार
इस रहस्यमय ब्रह्माण्ड का आखिर निगहबान कौन है?
जहां के लोग क्यों लड़ते है? , मरते है धर्म के लिए
शायद पता नहीं उन्हें कि, हममें से इन्सान कौन है ?
पल पल का सुख जी लेने को अब आमादा है हर कोई
नहीं जानते तो बस हम , जिन्दगी की पहचान कौन है?
तिल तिल कर जी रहे है हम बस अपनों के लिए
किसे पता रंग बदलती दुनियां में अरमान कौन है?
बस हम खुद को तराशें , सब विकारों को त्यागकर
वर्ना इस पाप-नफरत की दुनियां में भगवान् कौन है?
बस हम खुद को तराशें , सब विकारों को त्यागकर
ReplyDeleteवर्ना इस पाप-नफरत की दुनियां में भगवान् कौन है?
Bahut sunder vichar.
बस हम खुद को तराशें , सब विकारों को त्यागकर
ReplyDeleteवर्ना इस पाप-नफरत की दुनियां में भगवान् कौन है?...
बिलकुल सही!
जो हमारे विचार हैं वही हमारे कर्म भी होने चाहिए. यह दुनिया तभी बेहतर बनेगी. सुन्दर रचना
ReplyDeletekhud ki talash..bahut badiya..
ReplyDeleteशिक्षाप्रद और सुन्दर रचना!
ReplyDeleteBoht khub
ReplyDelete