चमत्कार पर अविष्कार
कलयुग के मानव कि कल्पना तो भगवन से परे है
सैंकड़ों बरसों में इन्सान ने कितने अविष्कार करे है
माना कि भगवान के पास तो जादुई शक्ति है
इन्सान के पास भी कर्म की वैज्ञानिक भक्ति है
माना की भगवान आप इंसान के भाग्यविधाता हैं
पर इस मशीनी युग का तो इंसान ही निर्माता हैं
देखो पञ्च तत्वों को उसने कैसे अलग थलग किया है
पृथ्वी अग्नि जल वायु आकाश अपने कब्जे में किया है
अग्नि को माचिस तीली में , वायु से आकाश को छुआ है
जल को नलकूपों में , पृथ्वी के भूगर्भ पर कब्ज़ा किया है
अगर मानव विकारों के चंगुल से बस खुद को बचाले
फिर स्वर्ग क्या वो जब जो कुछ , चाहे पल में पा ले
जो आया है जग में जग से , इक दिन जायेगा जरूर
कर्म आधार जीवन ही फिर से , मानव पायेगा जरूर
बस आत्मा का रहस्य , अगर जान जाये यह मानव
भगवान बनने का जूनून , उसका बन जायेगा गुरूर
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