Saturday, November 6, 2010

रूतबा माँ का



तेरा रुतबा मेरी माँ , सारा रोशन करे जहाँ
सारा  रोशन करे जहाँ , तेरा रुतबा मेरी माँ .........

सूरज चाँद की क्या मजाल,बिन तेरे चले जो चाल
तेरे  बिन जहाँ  में  क्या  ,  तेरा   नूर  हर  जगह 
तेरा रुतबा मेरी माँ , सारा रोशन करे जहाँ

तेरा लश्कर जब चले , भक्तों  की  आस  बंधे
तेरी चुनरी जब लहराए,दुःख छूमंतर हो जाये
तेरा रुतबा मेरी माँ , सारा रोशन करे जहाँ

तेरा कोई नहीं है सानी , हम लाल तेरे अज्ञानी
तू जब शेर पे करे सवारी , लगती है सबसे न्यारी
तेरा रुतबा मेरी माँ , सारा रोशन करे जहाँ

एक बार तू आँख फिर , हरेक  की  बिगड़ी  बना दे
एक बार तू आँख गड़ा दे दुश्मनों के छक्के छुड़ा दे
तेरा रुतबा मेरी माँ , सारा रोशन करे जहाँ

तेरे  दर  पे  आता  जो  , हर  मुरादें  पाता  वो
नहीं ऐसा कोई सवाली,तेरे दर से गया हो खाली
तेरा रुतबा मेरी माँ , सारा रोशन करे जहाँ



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