Sunday, November 7, 2010

ममता

ममता 
परिदृश्य :-
अस्पताल के चौराहे पे  लोगों की भीड़ लगी थी
दुर्घटना से एक महिला की लाश रक्तरंजित पड़ी थी
आगमन :-
भीड़ को फाड़ता , चीखता , चिंघाड़ता
१५ वर्ष का राजू माँ को देख रो पड़ा
याचना :-
मेरी माँ एक आखिरी सहारा साब! मेरा बाप नहीं है
बचा लो   मेरी माँ को   साब!   कोई मेरे साथ नहीं है
गाड़ी में माँ अचेत पड़ी थी ,  मेरे लिए संकट की घड़ी थी
मौत मेरे सामने खड़ी थी, गाड़ी जब रुकी  माँ चल पड़ी थी
मुझे लगा माँ मुझे आँखों से देख रही है
कैसे जियेगा मेरा लाल ,  यही  सोच रही है
माँ का त्याग :- 
नहीं  माँ तो सोई है , कई दिनों तक माँ मेरे लिए रोई है
मत जगाओ इसे   साब !  कई  रातों   से   माँ   नहीं   सोई है
मेरी नजर हाथों पे ज्यों पड़ी , आँखें खुली की खुली रही
माँ तो चल पड़ी पर  मेरी दवा उसकी मुठ्ठी में बंधी रही
परसों ही तो   उसने   मुझे   अपना   खून   दिया था
दो दिन से माँ ने कुछ खाया पिया भी नहीं था
दादी ने कहा था     मैं   तो अँधा पैदा हुआ था
किसी तरह माँ ने मुझे नया जीवन दिया था
माँ ने   मेरे   लिए   क्या -२   कुछ   नहीं किया था
बचपन में आँख दी दो दिन पहले खून दिया था
नहीं माँ मर नहीं सकती है , माँ अजर अमर शक्ति है
माँ जब जीवन दे सकती है  तो माँ कैसे मर सकती है
माँ तो जाँ  है , माँ   तो जहाँ  है
माँ   के   बिना   ,  जन्नत   कहाँ   है  

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