Sunday, November 7, 2010

प्रेमराग

प्रेमराग
क्यों यहाँ छुपे हो प्रभु बांके बिहारी
त्राहि त्राहि कर रही है दुनियां  सारी
काया-माया में फंसे हैं सब नर-नारी
कब लोगे तुम सुध हमारी हे गिरधारी!
दिव्य प्रेमलीला का तुमने ही रास रचाया
आज का मनवा देखो प्रेमलीला से घबराया
तुमने ही  प्रेमजोत  हम सबके दिल में जलाई
जात-धर्म, उंच नीच में फंसी ये दुनियाँ सारी

कब लोगे तुम सुध हमारी हे गिरधारी!
कहीं राधा बेटी   देखो   आत्महत्या   करने   को   मजबूर
कहीं कृष्ण बेटा देखो अपनी जान बचाने को  मजबूर
तुम्हारे प्रेम को तो दुनियाँ देखो मन से लगाए
वही प्रेम कोई और करे , क्यों सब को पढ़े भारी
कब लोगे तुम सुध हमारी हे गिरधारी!
प्रभु सबके दिलों में फिर दिव्य प्रेमजोत जलाओ
अपनी दिव्य प्रेम रासलीला आज सबको दिखाओ
ताकि राधा फिर न मरे, कृष्ण फिर कहीं न भागे
उंच-नीच, जात-धर्म मिटाओ की बस प्रेम पढ़े भारी
कब लोगे तुम सुध हमारी हे गिरधारी!
कब लोगे तुम सुध हमारी हे राधाकृष्ण मुरारी!

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