Saturday, November 6, 2010

सीख

सीख

सीखने को क्या कुछ नहीं है दोस्तों संसार में
सब कुछ मिलेगा दोस्तों देश-प्रेम ,परिवार में

है अगन लगन  सीख की तो  सीख सकते हो
इनसे सीखकर  जहाँ का दिल जीत सकते हो

सीख लो...
फूलों की महक से , चिडिओं की चहक से
कनक की चमक से , पायल की झनक से

सीख लो...
माँ  के  मातृत्व  से , पिता  के  पितृत्व  से
सावित्री के सतीत्व से,लक्ष्मण के भ्रातृत्व से

सीख लो...
ऋषिओं के वचन से , मीरा  के  भजन से
पेट की अगन से , अध्यात्म के मनन से

सीख लो...
एकलव्य की दीक्षा से , राजा बलि की भिक्षा से
अर्जुन के लक्ष्य से , श्रीकृष्ण के सुदर्शन चक्र से

सीख लो...
गुरु की महिमा से ,गंगा की गरिमा से
समय की चाल से , काल के अकाल से

सीखना ही है दोस्तों तो , सीखों हर किसी से
सीखो मगर वही  जो काम आये हर किसी के



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