Saturday, November 6, 2010

परिवर्तन

परिवर्तन
भक्ति में जो शक्ति है बस परिवर्तन की माया है
जिसने बदला खुद को प्रकृति अनुकूल वो जग में छाया है
प्रकृति की आत्मा  बस परिवर्तन है  यारों
सृष्टि में चंहु ओर  बस  परिवर्तन  है  यारों
दिन-रात का क्रम  परिवर्तन  नहीं तो क्या है
मानव निर्मित सबकुछ  परिवर्तन का फलसफा है
सृष्टि में भी वही रहेगा युगांतर यारों अमर
मानवता के लिए जिए जो यारों चारों पहर
जिसने खुद को नहीं बदला , इस चराचर  से गया निकल
मिट गया उसका नामोंनिशा , जीवन उसका गया विफल
इस परिवर्तन के युग में , कब क्या बदलाव  आ जाये
खुदको बदलो इतना कि , ये जीवन सफल हो  जाये
बदलो खुद को ऐसे कि , बदल जाये समाज
बदल जाये संसार ,  बदल  जाये  कल  आज
धरती पर न रहे  कहीं , जात धरम रंग  भेद
बस हो मानवता की खेती , विधाता भी करें नाज

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