सतगुरु
गुरु वही जो सर्वश्रेष्ठ है शाश्त्रार्थ में
धर्मगुरु जो मग्न है धर्म प्रसारार्थ में
कलयुग में चहुँ ओर लगा है धर्मगुरुओं का पंडाल
सुरक्षा शांति महफूज मगर बाज नहीं आते चंडाल
बेबस मानव सुख शांति के लिए आता गुरु शरण
सुख शांति पाने के लिए गीता कुरान में है मगन
ईश्वरीय साक्षातकार का दिव्य स्वप्न दिखाते है सब धर्मगुरु
ईश्वरीय व्यक्तिवाद की पूजा बस सिखाते है सब धर्मगुरु
क्यों मोह, माया, मद, विकार से वो खुद को बचा नहीं पाते
खुद को सर्वश्रेष्ठ कहलाने की होड़ में खुद को झुका नहीं पाते
सबकुछ निहारे ईश्वर , सब पर करे रहम
समदर्शी ब्रह्मा विष्णु महेश कहता शिवोहम
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