धरती बांटी , अम्बर बांटा , बाँट दिया भगवान को
जात धर्म का जहर फैलाकर , बाँट दिया इंसान को
देख ले साधुओं की असाधु प्रवृति
देख ले मौलाओं की हैवानियत दृष्टि
देख ले धर्म ने इन्सान को किस कदर बांटा है
देख ले इंसान ने इंसान को किस कदर काटा है
कहीं ओसामा-ईराने-इराक,कहीं भाषा जल का विवाद
ताजा तरीन है आज भी गुजरात का वो खूने फिराक
बना के बम आदमी खुद बना है बम
जल रहा है चमन,खतरा बना है धर्म
जब मिट जायेंगे यूं ही जहाँ के सब मंजर
फिर किस पे चलाएगा तू अपना खूने खंजर
इंसानियत का खून सरेआम हो रहा है
हैवानियत के जुल्म से इंसान रो रहा है
या तो ला दे सैलाब और मिटा दे हैवानियत
नहीं तो सदियाँ लगेगी मिटने में शैतानियत
क्यों छाया है जहाँ में नशा ए हुकूमत?
कब जागेगी तेरे करम से इंसानी हुकूमत?
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